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वैदिक संध्या विधान

संध्या विधान (ⅰ) त्रिकाल संध्या प्रयोग 1. आचमन 2. मार्जन 3.विनियोग। 4.प्राणायाम का विनियोग संकल्प मंत्र व प्रयोग 5.अघमर्षण
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त्रिकाल स्वप्न दर्शन एक विस्तृत और महत्वपूर्ण विषय है, जो साधकों के लिए विभिन्न आध्यात्मिक अभ्यासों को शामिल करता है। यहां दृश्य के विभिन्न झलकियां और उनके प्रॉजेक्ट्स का फ्लैगशिप विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है:

### 1. आचमन
आचमन एक पवित्र क्रिया है, जिसमें साधक बार-बार जल लेकर अपने मुख में तीन छिड़कता है। यह आत्मा की पवित्रता और मानसिक सफाई के लिए आवश्यक है।

### 2. मार्जन
मार्जन का अर्थ स्थान की पवित्रता है। साधक अपने आस-पास पानी स्प्रेकर नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालता है और स्थान को शुद्ध करता है।

### 3. विनियोग
इस प्रक्रिया में साधक ध्यान केंद्रित करता है और मंत्रों के माध्यम से अपने विचारों को एकाग्र करता है। यह किसी विशेष कार्य की शुरुआत का विवरण है।

### 4. प्राणायाम का विनियोग
प्राणायाम का अभ्यास श्वास पर नियंत्रण के लिए किया जाता है, जो शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति में सहायता करता है। संकल्प मंत्रों के माध्यम से इसे और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है।

### 5. अघमर्षण
अघमर्षण का अर्थ है पापों का नाश। इसमें विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिससे व्यक्ति की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

### 6. सूर्यअर्घ्य विधि
सूर्यअर्घ्य विधि में साधक सूर्योदय या सूर्य के समय सूर्य को अर्घ्य प्रदान करता है। यह पूजा संचित पापों का नाश करने और सूर्य देवता की प्रार्थना प्राप्त करने का तरीका बताती है।

### 7. सूर्योपस्थान के एवं प्रकार प्रयोग
सूर्योपस्थान का अर्थ है सूर्य के प्रति ध्यान एवं पूजा। इसके कई प्रकार हैं, जैसे कि संध्या वंदन, सूर्य नमस्कार आदि।

### 8. गायकी जप विधान
गायकी जप विधान में गाय के विभिन्न अर्थ और उसके वैदिक प्रयोगों का विवरण है। इसका उद्देश्य यह है कि यह मानसिक स्वास्थ्य और रोग संबंधी सहायता प्रदान करता है।

#### (i) गाय का विविध अर्थ
गाय का अर्थ केवल एक जानवर नहीं बल्कि आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक संदर्भ भी है।

#### (ii) वैदिक गाय के काम्य प्रयोग
जिसमें गाय द्वारा विभिन्न साधनाएँ और अनुष्ठान किये जाते हैं।

#### (iii) रोगनिवारन गायकी प्रयोग
गाय के माध्यम से दूध पिलाने की विधि में विभिन्न मंत्रों का जाप किया जाता है।

#### (iv) पौराणिक गायत्री जप विधान
गाय मंत्र का जाप एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसका उल्लेख पुराणों में मिलता है।

#### (v) गाय शापनिमोचन प्रयोग
गाय के विभिन्न प्रकार के शापनिमोचन प्रयोग किये जाते हैं।

### (vi)गाय पुरश्चरण सम्पूर्ण विधान
गाय मंत्र का पुरश्चरण विशेष मंत्रों के साथ किया जाता है।

### (vii)गाय पंचांग पूजन
गायत्री उपासना का एक अद्भुत उपाय जो पंचांग के अनुसार किया जाता है।

### (viii)गायत्री षोडशोपचार पूजन
गायत्री की पूजा में 16 प्रकार के उपचारों का उपयोग किया जाता है।

### (ix)गाय 32 उपचार पूजन
गाय का यह पूजा विधान 32 उपचारों के माध्यम से किया जाता है।

### (x)गायिकी सिद्धांत -52 प्रकार
गायत्री के 52 विभिन्न प्रकार की कहानियाँ।

### (xi)गाय उपस्थान-21 प्रकार
गाय उपस्थान में 21 प्रकार की अजातशत्रु का पालन किया जाता है।

### (xii)गाय ध्यान = 110 प्रकार
गायत्री ध्यान की 110 विधियाँ हैं, जो ध्यान की गहराई को बढ़ाती हैं।

### (xiii)गाय ध्यान
गाय ध्यान का विशेष महत्व है, जिसमें गहरी जागरूकता और ध्यान की आवश्यकता है।

### (xiv)गाय शापविमोचन संपूर्ण विधान एवं प्रयोग
गाय के माध्यम से शाप मुक्ति की प्रक्रिया का विशेष महत्व है।

### (xv) गाय विशेष पूजन व मुद्रा प्रयोग
गाय की पूजा में विशेष मुद्राओं का अर्थ, विशेष अर्थ और महत्व होता है।

### (xvi) गाय तर्पण प्रयोग
गाय के माध्यम से तर्पण का आयोजन किया जाता है।

### (xvii)गायिका कवच विधान
कैटरीना क्वॉव की पूजा का विधान और सुरक्षा के लिए जानकारी दी गई है।

### (xviii) गाय हृदय विवरण एवं प्रयोग
गाय के दिल का वर्णन किया गया है, जिसमें उसके विशेष गुण का उल्लेख किया गया है।

### (xix)गाय सहस्त्रनाम विलामिक विधान
गाय सहस्त्रनाम की विशेष विधि।

### (xx)गाय सहस्त्रनाम प्रत्येक श्लोक का विनियोग, न्यास, मुद्रा विधान
गायत्री सहस्त्रनाम के प्रत्येक श्लोक का प्रयोग इसी प्रकार होता है।

### (xxi)गाय सहस्त्रनाम द्वारा विशिष्ट मंत्रों का विनियोग, न्यास, मुद्रा विधान
विनियोगगाय सहस्त्रनाम के विशिष्ट मन्त्रों से किया जाता है।

### (xxii) ऋग्वेदोक्त गायत्री
गाय मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।

### (xxiii) सामवेदोक्त गाय
सामवेद में भी गायत्री से संबंधित मंत्र हैं। 

### (xxiv) यजुर्वेदोक्तगायत्री 
यजुर्वेद में गायत्री मंत्र का विवरण।

### (xxv) अथर्ववेदोक्त गायत्री
अथर्ववेद में गायत्री का महत्व बताया गया है।

### (xxvi) चतुर्वेदोक्तगायत्री सूक्त
चतुर्वेद में गायत्री सूक्त का विशेष महत्व है।

### (xxvii) शडकाल दर्शन दर्शन
गायत्री मंत्र का दर्शन विभिन्न रंगों में किया जाता है।

 (xxviii) श्री विद्योक्त संध्या
श्री विद्या के अनुसार मंत्र का महत्व।

>सामी का वैज्ञानिक आधार
साइंटिस्ट आधार पर विशेष रूप से ध्यान और प्राणायाम के स्वास्थ्य लाभ निहित है।

 साइन और साइन में साइन का उपचार
संकेत का उपचार करने से मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है।

इन सभी छात्रों का अध्ययन और खोज कर किसी भी साधक को आध्यात्मिक गुणवत्ता प्राप्त हो सकती है।