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दैनिक पूजन

पूजा से पहले करें ये काम पूजा की शुरुआत से पहले आसन पर बैठें। ... मंत्र जाप के लिए माला अलग हो ... दीपक प्रज्वल्लित ऐसे करें ... सर्वप्रथम ईश्वर से करें ये प्रार्थना ... सबसे पहले किसकी उपासना करें ... इस बात का रखें विशेष ध्‍यान ... सबसे अंत में करें आरती ... किसकी करें आरती
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पूजा की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण बातें होती हैं जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए ताकि पूजा विधिपूर्वक और शुभ फलों का कारण बने। यहां पूजा की शुरुआत से लेकर अंत तक की विधि और कुछ विशेष बातें दी जा रही हैं:

### 1. **पूजा से पहले करें ये काम:**
   - **स्वच्छता और पवित्रता**: पूजा से पहले शरीर और स्थान की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। पवित्रता पूजा का आधार है, इसलिए स्नान करके स्वच्छ और शुद्ध मन से पूजा की तैयारी करें।
   - **शुद्ध आसन**: पूजा करने से पहले एक स्वच्छ आसन पर बैठें। आसन पर बैठने से शरीर और मन में स्थिरता और संतुलन आता है। 
   - **ध्यान और मानसिक तैयारी**: पूजा शुरू करने से पहले मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए कुछ देर ध्यान लगाकर शांतचित्त हो जाएं। 

### 2. **पूजा की शुरुआत से पहले आसन पर बैठें:**
   - **आसन का चयन**: पूजा के लिए एक सफेद या लाल कपड़े का आसन चुनें। आसन को दिशा के अनुसार व्यवस्थित करें—पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना अच्छा माना जाता है।
   - **ध्यान केंद्रित करें**: आसन पर बैठते समय शरीर को सीधा रखें और ध्यान केंद्रित करके पूजा की मानसिक तैयारी करें।

### 3. **मंत्र जाप के लिए माला अलग हो:**
   - **माला का उपयोग**: पूजा और मंत्र जाप के लिए माला का उपयोग करें। माला का चयन और उपयोग करना पवित्र माना जाता है। विशेष रूप से *रुद्राक्ष माला* या *चंदन माला* का उपयोग अधिक उत्तम माना जाता है।
   - **माला का सही दिशा में उपयोग**: माला का जाप हमेशा दाहिने हाथ से करें और माला के सिरों को छूने से बचें। मंत्रों का जाप माला की प्रत्येक मणि पर करें।

### 4. **दीपक प्रज्वल्लित ऐसे करें:**
   - **दीपक का चयन**: दीपक को शुद्ध घी या तेल से भरें और उसे स्वच्छ स्थान पर रखें।
   - **प्रज्वलन विधि**: दीपक को एक सौम्यता और श्रद्धा के साथ जलाएं। दीपक की लौ को पवित्र माना जाता है और इसे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाला माना जाता है।
   - **प्रार्थना**: दीपक जलाते समय भगवान से प्रकाश, ज्ञान और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।

### 5. **सर्वप्रथम ईश्वर से करें ये प्रार्थना:**
   - पूजा की शुरुआत में हमेशा ईश्वर से प्रार्थना करें। एक सामान्य प्रार्थना हो सकती है:
     > "ॐ सर्वेश्वराय नमः, सर्वपाप नाशनाय, सर्वसुख दायकाय, सर्वशक्ति रूपिणे, भगवते नमः।"
   - इसके अलावा, भगवान से मन, वचन और क्रिया से पापों को दूर करने और सद्गति प्राप्त करने की प्रार्थना करें। 
   - पूजा में निरंतर श्रद्धा और समर्पण की भावना रखें।

### 6. **सबसे पहले किसकी उपासना करें:**
   - **गणेश पूजा**: पूजा की शुरुआत गणेश जी की उपासना से करें। गणेश जी विघ्नहर्ता होते हैं, और उनका पूजन पूजा में आने वाली बाधाओं को दूर करता है। गणेश पूजा के बाद ही अन्य देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए।
   - **गणेश वन्दना**: “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करके गणेश जी को प्रणाम करें।

### 7. **इस बात का रखें विशेष ध्यान:**
   - **शुद्धता और निष्ठा**: पूजा करते समय शुद्धता बनाए रखें, जैसे साफ-सुथरी वस्त्र पहनें और पूजा सामग्री शुद्ध हो।
   - **नफरत या द्वेष न रखें**: पूजा करते समय किसी भी प्रकार के द्वेष, ईर्ष्या या नफरत का मन में स्थान न हो।
   - **मन, वचन और क्रिया में शुद्धता**: पूजा के दौरान अपने मन, वचन और क्रिया में शुद्धता बनाए रखें। मन में सकारात्मक विचार और भावना रखें।
   - **समय और संयम**: पूजा के दौरान समय और संयम का पालन करें। जल्दीबाजी न करें और मन से पूजा करें।

### 8. **सबसे अंत में करें आरती:**
   - पूजा समाप्त होने के बाद **आरती** का आयोजन करें। आरती पूजा का अहम हिस्सा होती है, जिसमें दीपक या अगरबत्ती के प्रकाश के साथ भगवान की स्तुति की जाती है।
   - **आरती का महत्व**: आरती में भगवान का गुणगान किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। आरती में भगवान के नामों का गान किया जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
   - **आरती के बाद**: भगवान को नमन करें और उनके आशीर्वाद का आभार व्यक्त करें।

### 9. **किसकी करें आरती:**
   - **आरती किसकी करें**: जो भी देवी-देवता पूजा में उपस्थित हों, उनकी आरती करें। यदि आप किसी विशेष भगवान की पूजा कर रहे हैं, तो उनकी ही आरती करें।
   - **गणेश आरती**: यदि पूजा में गणेश जी की उपासना की है, तो गणेश आरती करें।
   - **दुर्गा या शिव आरती**: यदि पूजा में दुर्गा या शिव की उपासना की है, तो उनकी संबंधित आरती करें। 

इन विधियों का पालन करते हुए पूजा को मन, वचन और क्रिया से पूरी श्रद्धा के साथ सम्पन्न करें।