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नित्य पूजन व विशेष पूजन प्रयोग

**नित्य पूजन** और **विशेष पूजन** दोनों ही हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और इनका उद्देश्य भक्ति, शांति और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। आइए, इन दोनों के बारे में विस्तार से जानते हैं: ### नित्य पूजन **नित्य पूजन** का अर्थ है दैनिक पूजा। यह नियमित रूप से हर दिन की जाने वाली पूजा है, जिसमें देवी-देवताओं की आराधना की जाती है। #### विशेषताएँ: 1. **नियमितता**: नित्य पूजन हर दिन सुबह या शाम को किया जाता है। 2. **साधारण अनुष्ठान**: इसमें सरल और नियमित अनुष्ठान होते हैं, जैसे दीप जलाना, धूप देना, फूल अर्पित करना, और मंत्रों का जाप करना। 3. **शांति और संतुलन**: नित्य पूजन से मन की शांति और मानसिक संतुलन बना रहता है। 4. **आराधना**: इसमें भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण का भाव प्रमुख होता है। #### प्रक्रिया: - सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। - स्वच्छ वस्त्र पहनें। - पूजा स्थल को साफ करें और वहां दीपक, धूप, और नैवेद्य रखें। - देवी-देवताओं के चित्र या मूर्तियों को स्नान कराएं और उन्हें पुष्प अर्पित करें। - भगवान के मंत्रों का जाप करें। ### विशेष पूजन **विशेष पूजन** का अर्थ है किसी विशेष अवसर, घटना या समस्या के लिए की जाने वाली पूजा। यह पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है और अक्सर एक निश्चित अनुष्ठान के साथ की जाती है। #### विशेषताएँ: 1. **अवसर विशेष**: विशेष पूजन विशेष तिथियों, जैसे जन्माष्टमी, दुर्गा पूजा, या किसी शुभ कार्य से पहले की जाती है। 2. **विस्तृत अनुष्ठान**: इसमें अधिक सामग्री और विस्तृत अनुष्ठान होते हैं, जैसे यज्ञ, हवन, और सामूहिक पूजा। 3. **विशेष फल**: इसका उद्देश्य किसी विशेष समस्या का समाधान, सुख, समृद्धि, या स्वास्थ्य प्राप्त करना होता है। 4. **सामूहिक भागीदारी**: अक्सर परिवार या समुदाय के लोग मिलकर इस पूजा का आयोजन करते हैं। #### प्रक्रिया: - पूजा का दिन और समय निर्धारित करें। - पूजा सामग्री एकत्रित करें (फल, फूल, मिठाई, दीपक आदि)। - यज्ञ मंडल बनाएं और अग्नि कुंड स्थापित करें। - सभी देवताओं की पूजा करें और विशेष मंत्रों का जाप करें। - प्रसाद का वितरण और आरती का आयोजन करें। ### निष्कर्ष नित्य पूजन व्यक्ति के जीवन में नियमितता और शांति लाता है, जबकि विशेष पूजन किसी विशेष उद्देश्य को पूरा करने के लिए किया जाता है। दोनों ही प्रकार की पूजा में श्रद्धा और भक्ति का होना आवश्यक है। अगर आप इनमें से किसी विशेष पूजा या प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया बताएं!
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1. तिलक धारण विधि व प्रयोग :

(ⅰ) तिलक क्यों आवश्यक

(ii) सम्प्रदायाचार अनुसार तिलक व्यवस्था,

(iii) भस्म धारण प्रयोग

(iv) भस्माभिमन्त्रण व प्रयोग निर्माण

2 .कलश स्थापन प्रयोग

3.पुण्याहवाचन

4. षोडशमातृका, पूजन विधान

--->प्रत्येक का विशिष्ट वैदिक व आगमोक्त पूजन विधान

(i) पोडश मातृकाओं का निशेष भोग व अर्घ्य प्रयोग

(ii)मातृका रक्षण प्रयोग विधि

(iv) षोडश मातृका न्यास विधि

(v) मातृका मण्डल प्रतिष्ठा प्रयोग

(vi) चतु:षष्टियोगिनी पूजन विधान

(ⅲ) मानस पूजा -:क्यों आवश्यक? ,कैसे?