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नारायण बलि

इसे सुनें नारायण बलि ऐसा विधान है, जिसमें लापता व्यक्ति को मृत मानकर उसका उसी ढंग से क्रियाकर्म किया जाता है, जैसे किसी की मौत होने पर। इस प्रक्रिया में कुश घास से प्रतीकात्मक शव बनाते हैं और उसका वास्तविक शव की तरह ही दाह-संस्कार किया जाता है। इसी दिन से आगे की क्रियाएं शुरू होती हैं, मसलन बाल उतारना, तेरहवीं, ब्रह्मभोज वगैरह।
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नारायण बलि एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील धार्मिक प्रक्रिया है, जो उन परिवारों के लिए की जाती है जिनके सदस्य लापता हैं। इसे मृत मानकर किया जाता है ताकि परिवार को मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिल सके। इस प्रक्रिया में कुश घास से प्रतीकात्मक शव बनाना और उसके साथ दाह-संस्कार करना एक खास प्रकार की मान्यता को दर्शाता है। 

इसके बाद की रस्में, जैसे बाल उतारना, तेरहवीं और ब्रह्मभोज, परिवार के लिए इस दुखद घटना को स्वीकार करने और आगे बढ़ने में मदद करती हैं। यह विधि शोक के समय में एक तरह से Closure प्रदान करती है। 

अगर आपको इस प्रक्रिया के किसी विशेष पहलू के बारे में और जानकारी चाहिए या इसके महत्व पर चर्चा करनी है, तो बताएं!